
अमेरिकी राजनीति और ब्रिटिश पत्रकारिता के बीच अब सीधा टकराव हो गया है। बीबीसी ने ट्रंप के 2021 वाले भाषण को एडिट करके दिखाया — और अब वही एडिट उनके गले की फांसी बन गया।
ब्रिटेन का प्रतिष्ठित मीडिया हाउस बीबीसी इस विवाद के बाद Breaking News से Breaking Trust तक पहुंच गया।
क्या है पूरा मामला?
6 जनवरी 2021 को ट्रंप का वो भाषण हुआ था, जिसके बाद वॉशिंगटन डीसी में कैपिटल हिल पर हिंसा भड़की।
लेकिन अब टेलीग्राफ के खुलासे से पता चला कि बीबीसी ने उस भाषण का “एडिटेड” वर्ज़न दिखाया — यानि कुछ लाइनें काट दीं, कुछ साउंडबाइट्स घुमा दीं, और पूरा संदर्भ ही पलट गया।
leaked BBC internal memo ने इस ‘काट-छांट’ की पुष्टि कर दी। नतीजा — बीबीसी के दो बड़े अधिकारी, टिम डेवी और डेबोरा टर्नेस ने “editorial responsibility” लेते हुए इस्तीफा दे दिया।
Trump का गुस्सा – ‘Fake Editing = Fake Democracy’
Donald Trump ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा — “BBC के टॉप लोग मेरे भाषण से छेड़छाड़ करते पकड़े गए।Thanks to The Telegraph for exposing these corrupt journalists.यह लोग हमारे सबसे करीबी सहयोगी देश के हैं — और वही लोकतंत्र का गला घोंट रहे हैं!”

BBC की सफाई – “Technical Edit था, Intentional नहीं”
बीबीसी ने बयान जारी कर कहा कि यह एक “contextual edit” था, न कि किसी राजनीतिक उद्देश्य से किया गया संपादन। लेकिन सवाल ये उठता है — अगर एडिट टेक्निकल था, तो कैरियर पॉलिटिकल क्यों उड़ गया?
मीडिया बनाम राजनीति – कौन करेगा कंट्रोल-Alt-Delete?
यह विवाद अब सिर्फ “BBC vs Trump” नहीं रहा — बल्कि यह बहस बन गई है कि क्या मीडिया को राजनीतिक आख्यान बनाने का अधिकार है?
और ट्रंप ने तो पहले ही चेतावनी दे दी — “Next time, BBC should edit their ethics, not my speech.”
लगता है ब्रिटिश चाय और अमेरिकी सच्चाई — दोनों अब उबलने लगी हैं
BBC बोले “editing error”,
Trump बोले “democracy error”!
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